एक केस पर भी गिरोहबंद अपराध में दर्ज हो सकता है एफआईआर : हाईकोर्ट
प्रयागराज, 08 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दर्ज एक ही एफआईआर पर गिरोहबंद अपराध कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने की वैधता चुनौती में दाखिल एक दर्जन याचिकाएं खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा है कि एक केस पर भी गिरोहबंद कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। इसमें कोई अवैधानिकता नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि यदि दर्ज प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बन रहा है तो उसकी विवेचना अवश्य होनी चाहिए। इसे रद्द नहीं किया जा सकता और आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने रितेश कुमार उर्फ रिक्की व कई अन्य याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है।
याचियों का कहना था कि उनके खिलाफ केवल एक एफआईआर दर्ज है। जिसमें उन्हें फंसाया गया है। कोई विश्वसनीय स्वतंत्र गवाह वह साक्ष्य मौजूद नहीं है। कोर्ट से सभी को जमानत मिल चुकी है या गिरफ्तारी पर रोक लगी है।जमानत पर छोड़ने के आदेश के कारण गैंग चार्ट तैयार कर गिरोहबंद कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। न तो किसी गैंग का पता है और न ही अपराध करने के लिए गैंग की मीटिंग का कोई साक्ष्य है। पुलिस ने जमानत पर रिहाई रोकने के लिए बिना ठोस सबूत के फंसाया है। सरकारी वकील का कहना था कि दर्ज प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बनता। जिसकी विवेचना होनी चाहिए। अपने पक्ष में न्यायिक नजीरें भी दी।