मानसिक रोगियों को कोरोना वैक्सीनेशन की टाइमलाइन तय करने पर विचार करें केंद्र व राज्यः सुप्रीम कोर्ट
मानसिक रोगियों को कोरोना वैक्सीनेशन की टाइमलाइन तय करने पर विचार करें केंद्र व राज्यः सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 02 सितम्बर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और संघशासित क्षेत्रों को निर्देश दिया है कि वो मानसिक आरोग्यशालाओं में भर्ती रोगियों को कोरोना का वैक्सीन देने के लिए टाइमलाइन तय करने पर विचार करें। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस संबंध में 15 अक्टूबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
छह जुलाई को कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि मानसिक रूप से बीमार रोगियों को अस्पताल से बेगर हाउस या वृद्धाश्रम में भेजने की प्रथा को बंद करें। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा करना मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की भावना के विपरीत है। कोर्ट ने अस्पतालों या मेंटल होम्स में रहने वाले हजारों मानसिक रूप से बीमार रोगियों के पुनर्वास से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह दिशानिर्देश जारी किया था।
सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी गौरव बंसल ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार रोगियों का वैक्सीनेशन जरूरी है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि महाराष्ट्र सरकार मानसिक रूप से बीमारों को बेगर होम्स में स्थानांतरित कर गलती करती है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से अपनाई गई यह प्रथा मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की धारा 104 का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील सचिन पाटिल से कहा कि मानसिक रूप से बीमार मरीजों को बेगर होम में स्थानांतरित करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। ऐसा करना मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम की भावना का उल्लंघन है।