मैनपुरी छात्रा की मौत मामले में डीजीपी ने गठित की नयी एसआईटी
मैनपुरी छात्रा की मौत मामले में डीजीपी ने गठित की नयी एसआईटी
प्रयागराज, 17 सितम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में डीजीपी ने बताया कि मैनपुरी के 16 वर्षीय स्कूली छात्रा की कालेज परिसर में फांसी लगाने से मौत मामले में एसआईटी की नयी जांच टीम गठित कर दी गई है और इसमें अनुभवी अधिकारियों को शामिल किया गया है।
उच्च न्यायालय ने एसआईटी को 6 सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। न्यायालय को बताया गया कि जांच में लापरवाही पर एएसपी, डिप्टी एसपी, व आई ओ को सस्पेंड कर दिया गया है।
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि इस मामले में जांच से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व कोर्ट को भी अवगत कराया जाय। लड़की के माता-पिता को सुरक्षा मुहैया कराने का भी कोर्ट ने निर्देश दिया है। कोर्ट को सरकार की तरफ से बताया गया कि एडीजी कानून व्यवस्था की निगरानी में जांच पूरी की जाएगी।
न्यायालय ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति जिला जज मैनपुरी को भी भेजी जाय, जिसे वहां के सभी न्यायिक अधिकारियों को सर्कुलेट किया जाय।
उच्च न्यायालय ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि बलात्कार के मामले में दो माह में जांच पूरी करने को लेकर सर्कुलर जारी किया जाय।और विवेचना पुलिस का प्रशिक्षण कराया जाय। डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि मैनपुरी के तत्कालीन रिटायर एसपी को सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान रोक दिया गया है। उन्हें केवल प्राविजनल पेंशन का भुगतान किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने डीजीपी समेत सभी उपस्थित पुलिस अधिकारियों की हाजिरी माफ कर दी। परन्तु कोर्ट ने अधिकारियों के कोर्ट रूम से बाहर निकलने से पूर्व मार्मिक टिप्पणी भी की और कहा कि स्वर्ग कही और नहीं है । सबको अपने कर्मों का फल यही भुगतान पड़ता है। कोर्ट ने डीजीपी से यह भी कहा कि पुलिस को जांच के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है। अधिकांश जांच कान्सटेबिल करता है। दरोगा कभी-कभी जाता है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मैनपुरी में दो साल पहले जवाहर नवोदय विद्यालय में एक नाबालिग छात्रा की फांसी लगाकर आत्महत्या के मामले में सवालों का जवाब न दे पाने पर नाराजगी जताते हुए डीजीपी मुकुल गोयल को रोक लिया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने डीजीपी के अलावा आईजी मोहित अग्रवाल व इस मामले में गठित एसआईटी के सदस्य पुलिस अधिकारियों को भी गुरुवार को फिर हाजिर होने का निर्देश दिया था।
न्यायानय ने कहा था कि मामले में न्यायालय द्वारा दिखाई गई गंभीरता और जांच के तरीके के साथ दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ निर्देश के बावजूद कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं की गई है। बल्कि मामले की जानकारी डीजीपी को नहीं दी जा रही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी और एसआईटी के सदस्य जांच करने में पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई के बारे में स्पष्ट करने के लिए अदालत में उपस्थित रहेंगे और आगे यह भी बताएंगे कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मैनपुरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई लगभग छह महीने पहले उनकी सेवानिवृत्ति से पहले क्यों नहीं पूरी की जा सकी।
डीजीपी मुकुल गोयल से कोर्ट ने इस मामले से जुड़े कई सवाल किए थे। कोर्ट ने अभियुक्तों का बयान लेकर छोड़ देने औऱ उनकी गिरफ्तारी नहीं करने को कोर्ट ने गंभीरता से लिया था। सुनवाई की शुरुआत में छात्रा की फांसी के बाद हुए शव के पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखने के बाद कोर्ट ने डीजीपी से पूछा था कि किसी के भी खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने पर पहला काम क्या करते हैं? डीजीपी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी।
न्यायालय ने कहा था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है। उसके सिर पर चोट के निशान थे। इसके बाद भी तीन महीने बाद अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों? इस पर डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि फिर से एसआईटी गठित कर देते हैं।
16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय एक छात्रा अपने जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी। पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि आत्महत्या का मामला है। दूसरी ओर उसकी मां ने आरोप लगाया था कि उसे परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।घटना को लेकर छात्रों ने प्रोटेस्ट किया था। परिवार ने भी कई दिनों तक धरना दिया था। मृतका के पिता ने मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई तो एसआईटी ने जांच की गई। 24 अगस्त 2021 को एसआईटी ने केस डायरी हाईकोर्ट में पेश की थी।
न्यायालय ने कहा छात्रा के पिता का बयान दर्ज नहीं किया गया और 5.30 से 6 बजे सुबह हुई घटना की सूचना परिजनों को न देने से संदेह पैदा होता है।