स्वस्थ्य रहने की जीवन-कला सिखाता आयुर्वेद – डॉ नरेन्द्र मेहरोत्रा
स्वस्थ्य रहने की जीवन-कला सिखाता आयुर्वेद – डॉ नरेन्द्र मेहरोत्रा
लखनऊ, 18 अगस्त (हि.स.)। आयु के वेद अर्थात् आयु के विज्ञान की जानकारी आयुर्वेद कराता है। इसी आयुर्वेद पर आधारित भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां रहीं हैं, जिससे व्यक्ति स्वस्थ्य और शतायु होते थे।
यह उद्गार जीवनीय सोसाइटी के सचिव डॉ. नरेन्द्र मेहरोत्रा ने जीवनीय सोसाइटी द्वारा मिशन समृद्धि के सहयोग से संचालित मिशन आरोग्यकर के चयनित आयुमित्रों के दो दिवसीय प्रशिक्षण के शुभारम्भ अवसर पर सीतापुर रोड स्थित सहभागी शिक्षण केन्द्र में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया।
इस प्रशिक्षण में प्रदेश के 10 जनपदों बाराबंकी, उन्नाव, लखनऊ, सोनभद्र, प्रयागराज, सीतापुर, अयोध्या, कानपुर देहात, शाहजहांपुर, व हरदोई जनपद से तीन-तीन स्वयं सेवक कुल 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह आयुमित्र चयनित गांवों में सभी परिवारों में सेहत बगीचे और हर्बल गार्डन तैयार कराने का कार्य करेंगे। डॉ. मेहरोत्रा ने कहा कि हम विकास की जगह समृद्धि की बात करते हैं, समृद्धि समग्र के वृद्धि से जुड़ा हुआ शब्द है। समग्र वृद्धि तभी सम्भव है जब सब लोग स्वस्थ्य रहें और मन को प्रसन्नता मिले। हमारा आयुर्वेद इसी मूल भावना पर आधारित है, आयुर्वेद जहां स्वस्थ्य रहने की जीवन-कला सिखाता है वहीं सबके स्वावलम्बन और खुशहाली की बात करता है। उन्होंने बताया कि पांच महाभूतों से बने इस शरीर को अष्ट-धातुओं-रस, रक्त, मांस, मेदा, अस्थि,मज्जा, शुक्र व वीर्य और ओज का बैलेंश जरूरी होता है, इन्ही धातुओं के बैलेंस बिगड़ने से हम अस्वस्थ्य होते हैं।
विनीत पीपल बाबा ने पौधे की महत्ता और पौधरोपण के सरल उपाय बताए और कहा कि कचरे और कूड़े में पड़ी पन्नियों को एकत्र कर उनमें पौधों के बीज रोपित कर नर्सरी तैयार की जा सकती है। प्रसिद्ध वैद्य डॉ. संजीव ओझा ने कहा कि लोग पैसा कमाने के लिए सेहत गंवाते हैं और फिर सेहत बचाने के लिए पैसा गंवाते हैं। सेहत और संसाधन, पैसे का बैलेंस जीवन में बहुत आवश्यक है। दीप्ति ने प्रभावी संचार के लिए प्रतिभागियों को बताया। डॉ. ओझा ने मानव विकास की कहानी के साथ ही आहार और औषधि में अन्तर बताया, कहा कि जो आहार है उसे आहार के रूप में और जो औषधि है उसे औषधि के रूप में ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
डॉ. ओझा ने जड़ी-बूटी के साथ ही नीम, हल्दी, अदरक, अश्वगंध, आंवला, त्रिफला-हर्रा, बहेरा और आंवला के प्रयोग और उसके गुण बताकर प्रतिभागियों को जागरूक किया। ग्राम्य विकास संस्थान खैराबाद के प्रशिक्षक अरुण पांडेय ने हर्बल औषधीय खेती के बारे में सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।
पूरे प्रशिक्षण सत्र का संचालन जीवनीय की संयुक्त सचिव शचि सिंह ने संचालित किया और प्रतिभागियों के सवालों का जबाब देकर उन्हें मिशन आरोग्यकर के उद्देश्यों को बताया। इस अवसर पर मिशन आरोग्यकर के राज्य समन्वयक रत्नेश कुमार व विथिका पांडे, मनीषा रस्तोगी ने प्रशिक्षण की व्यवस्थाएं संचालित किया।