सुरक्षित प्रसव के लिए नौ महीनों तक जीवनशैली में करें बदलाव
सुरक्षित प्रसव के लिए नौ महीनों तक जीवनशैली में करें बदलाव
बेगूसराय, 14 अगस्त (हि.स.)। गर्भधारण (प्रेग्नेंसी) की योजना के साथ गर्भवती महिला को आने वाले नौ महीनों और डिलीवरी को लेकर भी तनाव होने लगता है। यह होना स्वाभाविक भी है, सुरक्षित गर्भधारण के लिए मां और शिशु दोनों का ही स्वस्थ्य होना बहुत जरूरी है। लेकिन डिलीवरी का समय किसी भी गर्भवती महिला के लिए काफी डर भरा होता है कि आखिर होगा क्या। यदि किसी का पहला बच्चा है, तो खासतौर पर यह उनके लिए काफी डर भरा होता है। महिला चिकित्सक डॉ. संगीता सिन्हा ने बताया कि सुरक्षित डिलीवरी के लिए नौ महीना तक एक मां को कई विशेष बातों का ध्यान और सावधानी रखनी की आवश्यकता होती है। सुरक्षित प्रसव (सेफ बर्थ) और गर्भधारण के लिए गर्भवती महिला को बहुत सारी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। सेफ बर्थ एंड प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है कि गर्भधारण की शुरुआत से ही गर्भवती महिला को कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इससे सुरक्षित प्रेग्नेंसी की जा सकती है, जिसमें उन्हें अपने खुराक (डायट) से लेकर व्यायाम (एक्सरसाइज) तक, हर एक चीज का ध्यान रखना होगा, इसके लिए गर्भवती महिलाओं की जीवन शैली (लाइफस्टाइल) में बदलाव जरूरी है, ताकि सुरक्षित प्रसव से स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकें।
सही खुराक (डायट) है जरूरी-
गर्भवती महिला के लिए उचित पोषण लेना बहुत जरूरी है। केवल खुद के लिए ही नहीं, बल्कि शिशु के अच्छे स्वास्थ के लिए भी जरूरी है। उचित पोषण सेफ बर्थ सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। प्रेग्नेसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए जरूरी है कि चीनी का सेवन कम करते हुए भरपूर मात्रा में प्रोटीन और सब्जियां को अपने प्लेट में शामिल करें। पोषण युक्त खानपान से गर्भावस्था से संबंधित स्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। सही खानपान से शरीर में एनर्जी भी बनी रहती है। ताकि डिलीवरी के समय शरीर मजबूत बना रहे। एक अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के अपने अंतिम चार हफ्तों में प्रतिदिन छह खजूर का सेवन किया, उन्हें सुरक्षित प्रसव (सेफ बर्थ) में काफी मदद मिली।
श्वसन व्यायाम (ब्रीदिंग एक्सरसाइज) करें-
डॉ. संगीता के अनुसार प्रसव के दौरान, धीरे-धीरे और गहरी सांस लेने से आराम करने में मदद मिलती है और यह मांसपेशियों में होने वाले तनाव को भी रोकता है, जिससे गर्भाशय ग्रीवा का विस्तार होता है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को सांस फूलने की तकलीफ होती है। ऐसे में श्वसन व्यायाम (ब्रीदिंग एक्सरसाइज) करने से डिलीवरी के समय काफी आसानी होगी। सांस की समस्या से बचने के लिए गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) के दौरान इस तरह से खुद को सक्रिय रखें।
एक्सराइज के लिए रखें ध्यान-
अधिकांश महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान हल्की-फुल्की फिटनेस गतिविधियों का आनंद ले सकती हैं, लेकिन अपने डॉक्टर से व्यायाम करने के तरीके और रूटीन पर चर्चा अवश्य करनी चाहिए। डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के आधान पर व्यायाम करने के लिए गाइड करेगा। जो महिलाएं प्रेग्नेंट होने से पहले ही रनिंग जैसी जोरदार गतिविधि कर रही थी वह इस रूटीन को जारी रख सकती हैं, लेकिन इसके लिए भी वह एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
अतिरिक्त गतिविधियां भी आवश्यक-
प्रेग्नेंट महिला के लिए पूरे नौ महीने और आगे डिलिवरी की चिंता को लेकर एक तनाव बना रहता है। तो ऐसे में जरूरी है कि सेफ बर्थ को लेकर गर्भवती महिला अपने खानपान में इन सभी बातों का ध्यान रखें। अपने लाइफस्टाइल में सुधार लाएं, अच्छी लाइफ स्टाइल उनकी सुरक्षित प्रेग्नेंसी में मददगार है। इसके अलावा जिन गर्भवती महिलाओं की कोई हेल्थ कंडिशन चल रही है, उन्हें कोई भी एक्सरसाइज और डायट अपने मन से नहीं करनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सभी चीजें अपने डॉक्टर की सलाह पर ही करें। क्योंकि जरूरी नहीं है कि यह सभी डायट या एक्सराइज सभी के लिए प्रभावकारी हो, यह सामान्य लोगों के लिए है। लेकिन कोई हेल्थ कंडिशन होने पर कुछ भी अपने मन से नहीं करें।