हाईकोर्ट ने पीडीए में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता पर प्रदेश सरकार से माँगा जवाब
हाईकोर्ट ने पीडीए में करोड़ों की वित्तीय अनियमितता पर प्रदेश सरकार से माँगा जवाब
प्रयागराज, 04 सितम्बर (हि.स.)। प्रयागराज विकास प्राधिकरण में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता और धन के दुरुपयोग पर ऑडिट रिपोर्ट को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया है। कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि इस प्रकार की अनियमितताएं लगातार हो रही हैं। विभाग ऑडिट टीम को जांच के लिए बहुत से प्रपत्र नहीं दिखाता। जिससे जांच भी पूरी तरह से नहीं हो पा रही है।
हाईकोर्ट के अधिवक्ता व बार उपाध्यक्ष अजय कुमार मिश्र ने आडिट विभाग द्वारा उठाई गई आपत्तियों को लेकर जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एकेओझा की पीठ सुनवाई कर रही है।
प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि ऑडिट विभाग ने जो आपत्तियां उठाई थी उनका निस्तारण कर दिया गया है। लिहाजा याचिका पोषणीय नहीं है। जबकि याची की ओर से अधिवक्ता आरिफ खान और लब्ध प्रतिष्ठ मिश्र का कहना था कि पीडीए की हर ऑडिट रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर आपत्तियां की जा जाती हैं और यह लगातार हो रहा है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ता है। इतना ही नहीं पीडीए के अधिकारी ऑडिट टीम द्वारा मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराते हैं। जिसकी वजह से उनकी जांच नहीं हो पाती है। इससे बहुत सी अनियमितता के मामले सामने ही नहीं आ पाते हैं।
याचिका में कहा गया है कि पिछले गई वर्षों से पीडीए के बैंक खातों का मिलान नहीं किया जा रहा है। विगत पांच वर्षों में सरकारी खजाने को 32 करोड़ 19 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। पीडीए ने 39.27 करोड़ का सेंटेज चार्ज नहीं वसूला। ब्लैक लिस्ट ठेकेदार को बार-बार काम दिया गया। आडिट रिपोर्ट में आपत्ति उठाई गई है कि ठेकेदारों का कोई लेजर नहीं तैयार किया, सर्विस बुक भी मेनटेन नहीं है। कम्पाउंडिग चार्ज नहीं वसूले गए। इसी प्रकार की तमाम अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया है। कोर्ट ने पीडीए को तीन सप्ताह में इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।