दरोगा की विवाहिता पुत्री को मृतक आश्रित में नियुक्ति देने पर विचार का निर्देश
दरोगा की विवाहिता पुत्री को मृतक आश्रित में नियुक्ति देने पर विचार का निर्देश
प्रयागराज, 05 सितम्बर (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड और प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि वह दिवंगत सब इंस्पेक्टर की विवाहित पुत्री को अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने पर दो माह में नियमानुसार निर्णय ले। कानपुर की प्रीति तिवारी की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने दिया ।
याची की अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम का कहना था कि याची के पिता पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर थे तथा आजमगढ़ में तैनात थे। सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। याची ने अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति देने के लिए प्रत्यावेदन दिया। मगर 17 जून 2021 को उसका प्रत्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि याची विवाहित पुत्री है और अनुकम्पा नियुक्ति नियमावली के तहत परिवार की परिभाषा में नहीं आती है।
अधिवक्ता की दलील थी की कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस में यह तय कर दिया है कि विवाहित पुत्री को परिवार की परिभाषा से बाहर रखना भेदभाव पूर्ण है इसलिए विवाहित पुत्री भी अनुकम्पा नियुक्ति पाने की हकदार है। इस आदेश को नेहा श्रीवास्तव केस में भी माना गया है तथा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशेष अनुमति याचिका खारिज की जा चुकी है। सरकारी वकील का कहना था कि यदि याची पुनः प्रत्यावेदन दे तो उस पर नियमानुसार विचार किया जाएगा। पक्षकारों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने 17 जून 2021 का आदेश रद्द करते हुए निर्देश दिया है कि याची के प्रत्यावेदन पर 2 माह के भीतर नियमानुसार निर्णय लिया जाए।