सरकार बताए पुरातत्व स्थल के संरक्षण के लिए अब तक क्या कार्र्वाई की गई है:हाईकोर्ट
सरकार बताए पुरातत्व स्थल के संरक्षण के लिए अब तक क्या कार्र्वाई की गई है:हाईकोर्ट
पटना, 07 सितंबर (हि. स.) हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) से 5 अक्टूबर तक यह पूछा है कि पुरातत्व स्थल के संरक्षण के लिए अब तक क्या कार्र्वाई की गई है।
मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने विनय कुमार सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह जानकारी मांगी है।कोर्ट ने कहा कि लोमस और याज्ञवल्क ऋषि की गुफाएं केवल ऐतिहासिक दृष्टि से ही नही, बल्कि जैव विविधता के मद्देनजर भी बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसी जगह को संरक्षित करने की बजाए खत्म किया जा रहा है . इसकी परवाह न तो केंद्र सरकार को है न ही राज्य को है।इन पहाड़ों के आस पास के जंगल में होने वाले खनन कार्य पर हाई कोर्ट ने 20 जुलाई को रोक लगा दी थी इस रोक को अगली सुनवाई तक जारी रखने का कोर्ट ने निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान कुछ लोगों ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर खनन कार्य पर से रोक हटाने की गुहार लगाई जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 1906 में छपी तत्कालीन गया जिले के गज़ट में दोनों पहाड़ियों का सिर्फ पुरातात्विक महत्त्व ही नही हैं, बल्कि वहां की जैव विविधता के बारे में भी अंग्रजों ने लिखा है. उन पहाड़ियों के 500 मीटर के दायरे में झरना , बरसाती नदी और एक फैला हुआ वन क्षेत्र है, जिसमे विविध प्रकार के वनस्पति और जीव- जंतु मिलते हैं ।उस जंगल को अवैध खनन कर बर्बाद किया जा रहा है . लोमस और याज्ञवल्क पहाड़ियों को आर्कियोलॉजिकल एवम हेरिटेज साइट बनाने का कोर्ट से अनुरोध किया गया।
कोर्ट ने दोनों पहाड़ियों के वन क्षेत्र विस्तार और रिहाइशी बस्तियों के बिंदु पर राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगा था लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई जवाब नही आया।कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को फिर की जाएगी होगी.